Saturday, 12 November 2016

A poem from Gulzar for all of us... Life ko simple rakhiye!

A poem from Gulzar for all of us... Life ko simple rakhiye!

कुछ हँस के
     बोल दिया करो,
कुछ हँस के
      टाल दिया करो,
यूँ तो बहुत
    परेशानियां है
तुमको भी
     मुझको भी,
मगर कुछ फैंसले
     वक्त पे डाल दिया करो,
न जाने कल कोई
    हंसाने वाला मिले न मिले..
इसलिये आज ही
      हसरत निकाल लिया करो !!
समझौता
      करना सीखिए..
क्योंकि थोड़ा सा 
      झुक जाना
किसी रिश्ते को
         हमेशा के लिए
तोड़ देने से
           बहुत बेहतर है ।।।
किसी के साथ
     हँसते-हँसते
उतने ही हक से
      रूठना भी आना चाहिए !
अपनो की आँख का
     पानी धीरे से
पोंछना आना चाहिए !
      रिश्तेदारी और
दोस्ती में
    कैसा मान अपमान ?
बस अपनों के 
     दिल मे रहना
आना चाहिए...!
   

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*गोड मध बनवणारी मधमाशी चावायला विसरत नाही...*
*त्यासाठी सावधान रहा...*
*कारण...जास्त गोड बोलणारी माणसे पण इजा पोहचवु शकतातं...*
*गरजेच्या वेऴी सुकलेल्या ओठातुन नेहमीच गोड शब्द बाहेर पडतात..*
*पण एकदा का तहान भागली की मग *" पाण्याची चव " आणि " माणसाची नियत " दोन्ही बदलतात....*
*जो पर्यत ठिक आहे . तो पर्यत देवाला दुरुनंच हात जोडतात ...*
*आणि....थोडसं कमी पडायला लागलं की देवळात जाऊऩ ऩारळ फोडतात..*
 
          🌿शुभ सकाळ🌿

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